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SMPS क्या है और कैसे कार्य करता है - SMPS kya hota hai

SMPS क्या है और कैसे कार्य करता है
What is SMPS and its functioning 

SMPS का फुल फॉर्म - स्विच्ड मोड पावर सप्लाई

कम्प्यूटर तथा इलेक्ट्रॉनिक्स इलेक्ट्रिकल उपकरण (संसाधनों) में नियमित पावर आपूर्ति दो विधियों द्वारा की जा सकती है-(1) रेखीय पावर आपूर्ति (LPS), (2) स्विचिंग पावर आपूर्ति (SPS)

(1) रेखीय पावर आपूर्ति क्या है (LPS)- LPS तकनीक का प्रयोग DC से अल्टरनेट करेंट (AC) आपूर्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है

पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का पावर आपूर्ति इस तकनीक का प्रयोग करके उपलब्ध कराई जाती थी। क्रांतिकारी परिवर्तनों के कारण पावर आपूर्ति उपलब्ध कराने का सिद्धान्त भी SMPS से LPS तकनीक पर परिवर्तित हो गया है।

(2) स्विचिंग पावर आपूर्ति क्या है (SPS)- LPS की तुलना में स्विचिंग तकनीक काफी कठिन परन्तु सस्ती है। स्विचिंग तकनीक में, सबसे पहले पावर आपूर्ति AC से प्राप्त तथा फिगर्ड होती है तथा तब अविनियमित DC तथा आपूर्ति में परिवर्तित की जाती है। यह अविनियमित DC आपूर्ति उच्च आवृत्ति वाले 20 स्विचिंग रजिस्टरों का प्रयोग करके एक ट्रांसफॉर्मर के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

हालांकि यह उच्च करेंट ट्रांजिस्टर की प्राथमिक बाइंडिंग में स्विचिंग फंशन का प्रयोग करके बहना प्रारंभ करता है। तब यह अन्य बाइंडिंग को हस्तांतरित किया जाता है, पुनः यह सुधारा जाता है तथा DC पावर आपूर्ति उपलब्ध कराई जाती है।

स्विचिंग के समय पर रेक्टिफिकेशन पावर आपूर्ति इस तकनीक के द्वारा निम्न थर्मो ऊर्जा से परिवर्तित की जाती है, जिसके कारण थर्मो ऊर्जा बचाई जा सकती है। यहाँ ट्रांसफॉर्मर प्रयोग किया जाता है जो आकार में छोटा तथा कम लागत का होता है। अत: कम स्थान घेरा जाता है संसाधनों (उपकरण) के भार में भी कमी होती है तथा इसके क्रय तथा सुरक्षा पर कम लागत लगती है।

SMPS उपयोग करने के लाभ

  • पावर आपूर्ति के दौरान स्विच मोड में ऑन/ऑफ की तकनीकें अनुप्रयुक्त की (1 जाती हैं ताकि कम पावर प्रयोग की जाती है।
  • इस तकनीक में प्रयुक्त स्विच पावर ऑन/ऑफ विधि को क्रियान्वित करती है अतः पावर पर कम व्यय होता है।
  • इस तकनीक में प्रयुक्त उपकरणों का आकार छोटा होता है तथा ऊर्जा को स्टोर किया जा सकता है।
  • SMPS कम इनपुट AC आपूर्ति में कार्य कर सकता है।
  • इस इकाई में प्रयुक्त ट्रांसफॉर्मर, फिलर केपेसिटर इन्ड्यूसर आदि आकार में छोटे तथा भार में हल्के होते हैं तथा स्विचिंग की तेज गति के साथ काम कर सकते
  • इनपुट फिलर केपेसिटर में ज्यादा ऊर्जा उपलब्ध होती है अत: यदि पावर आपूर्ति कट भी जाए तब भी SMPS इसका कार्य जारी रखता है।
  • इस तकनीक में रिसीवर उपकरण मेन आपूर्ति लाइट से अलग होता है। अतः उच्च या निम्न वोल्टेज पर पावर आपूर्ति का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होता अत: यहाँ उपकरण ज्यादा सुरक्षित होता है।
  • यहाँ आपूर्ति निम्न तथा मध्यस्थ मान थू आउटपुट के साथ एक साथ प्राप्त की जा सकती है।

SMPS के दोष

  • स्विचिंग की तेज गति के कारण पावर फुल इलेक्ट्रॉमेग्नेटिक सिग्नल्स उत्पादित होते हैं जो सर्किट्स को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
  • इस तकनीक का प्रयोग करके उपकरण रेडियो आवृत्ति से प्राप्त किया जाता है जो इसके ट्यूनर सर्किट को प्रभावित करता है।
  • SMPS में कंट्रोलिंग सर्किट बहुत जटिल होते हैं।

SMPS का कार्यान्वयन / SMPS कैसे काम करता है

पावर आपूर्तियाँ एक PC तथा पेरिफेरल्स के परिचालन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक पावर आपूर्ति इकाई एक व्यावसायिक AC को DC के एक या ज्यादा स्तरों में बदलने हेतु जिम्मेदार होती है जिसे कम्प्यूटर के भीतर इलेक्ट्रॉनिक तथा इलेक्ट्रॉमेकेनिकल उपकरणों द्वारा प्रयोग किया जा सकता है।

SMPS (स्विच्ड मोड पावर सप्लाई) नामक एक इकाई एक PC को पावर आपूर्ति हेतु जिम्मेदार होती है।

एक स्विच मोड पावर सप्लाई (SMPS) में, कंट्रोलिंग उपकरण एक आदर्श स्विच की तरह कार्य करता है जो या तो ऑन या ऑफ होता है। एक पावर ट्रांजिस्टर के 'ऑन' समय तथाऑफ' समय की अवधि के अनुपात को नियंत्रित करके जिसे ड्यूटी चक्र के रूप में भी जाना जाता है, पावर प्रवाह को एक बहुत सक्षम तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है (चित्र) एक स्विचिंग पावर आपूर्ति में स्विचिंग विनियमन मेन पावर ट्रांसफॉर्मर की प्राथमिक तरफ होता है जबकि रेखीय आपूर्तियों में विनियमन मेन आइसोलेटिंग ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक तरफ होता है। एक रेखीय विनियमन में निरंतर लोड वोल्टेज को बनाए रखने के लिए इनपुट साइड से लोड तक करेंट का एक निरंतर प्रवाह विनियमित किया जाता है। लेकिन स्विचिंग आपूर्तियों में, समान करेंट प्रवाह इनपुट वोल्टेज को chop करके तथा ड्यूटी चक्र के माध्यमों से औसत करेंट को नियंत्रित करके विनियमित किया जाता है। जब लोड द्वारा एक ज्यादा ऊंचा करेंट ड्रा किया जाता है, तब SMPS का कंट्रोल सर्किट अनुरूप तरीके से लोड करेंट में ऐसे परिवर्तन को समाहित करने के लिए ऑन-टाइम अवधि को बढ़ा देता है। क्योंकि स्विच इन दो दशाओं के बीच में एक संक्षिप्त ट्रांजीशन अवधि को छोड़कर हमेशा या तो सेचुरेशन या कट ऑफ मोड में परिचालित होता है, अतः स्विचिंग रेगुलेटर इनपुट वोल्टेज तथा लोड विचलनों में बड़े उच्चावचनों के बावजूद बहुत अच्छा विनियमन प्राप्त कर सकता है।

PC, AC में पावर संरक्षण उपकरण के द्वारा पावर लेता है। यह कम्प्यूटर सिस्टम को सीधे आपूर्तित नहीं किया जाता है वरन् 230 वोल्ट्स के AC इनपुट को आंतरिक पावर आपूर्ति सिस्टम (SMPS) द्वारा 8 तथा 12 वोल्टों में से DC में बदला जाता है SMPS केवल में कनेक्टर्स को उपलब्ध कराता है, जिनका उपयोग अन्य सभी आंतरिक इकाइयों जैसे ड्राइव्स, मदरबोर्ड, कीबोर्ड आदि को चाहे गए वोल्टेज की आपूर्ति के लिए किया जाता है सिस्टम इकाई का ऑन/ऑफ स्विच वास्तव में SMPS का भाग होता है। अतः जब सिस्टम इकाई को ON/OFF स्विच करते हैं, हम वास्तव में SMPS को ON/OFF स्विच कर रहे हैं SMPS के भीतर कूलिंग प्रभाव उत्पादित करने के लिए एक्सास्ट पंखे का प्रयोग किया जाता है

SMPS के प्रकार / SMPS कितने प्रकार का होता है

प्रायः इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में तीन प्रकार के SMPS सर्किट्स प्रयोग किए जाते हैं। ये हैं

1. फ्लाईबैक मोड SMPS - फ्लाईबैक मोड का सामान्यतः प्रयोग TVs तथा VCRs में किया जाता है। यह अपेक्षाकृत सरल तथा सस्ता है क्योंकि इसे किसी आउटपुट चोक की जरूरत नहीं होती। लेकिन इसमें अपेक्षाकृत खराब विनियमन तथा आउटपुट में उच्च रिपल अंतर्वस्तु होती है।

2. फारवर्ड मोड SMPS - फारवर्ड मोड SMPS इकाइयों का प्रयोग 100 तथा 200 बार को आउटपुट पावर तथा अच्छे विनियमन चाहने वाले उपकरणों में किया जाता है।

3. पुश-पुल मोड SMPS- यदि चाही गई आउटपुट पावर उच्च (200 वाट से ज्यादा) तथा निम्न हानियों के साथ बेहतर विनियमन की जरूरत है तब पुश-पुल मोड SMPS प्रयोग किया जाता है।


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