इंटरनेट
(Internet Detail in Hindi)
दोस्तो आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की इंटरनेट क्या है ( Internet kya hai ) कैसे कार्य करता है और इसके द्वारा हम क्या क्या कर सकते हैं।
प्रस्तावना –
इंटरनेट आम लोगों के लिए
उनके दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है जिसके माध्यम से हम बहुत सारे दैनिक
जीवन के कार्य करते हैं। इंटरनेट वास्तव में विश्वव्यापी कम्प्यूटरों का एक जाल है
जो कई कम्प्यूटरों को एक सर्वर से जोड़ता है।
इंटरनेट एक विश्व व्यापी नेटवर्क है जो दुनिया भर के लाखों कंप्यूटरों को एक-दूसरे के साथ और Worls Wide Web से जोड़ने की सुविधा देता है। यह पूरी दुनियां के कई करोङो यूजर को जोड़ने के लिए मानक इंटरनेट प्रोटोकॉल सूट ( टीसीपी / आईपी ) का उपयोग करता है। यह ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क होता है और अन्य वायरलेस और नेटवर्किंग तकनीकों का उपयोग करके स्थापित किया गया है। आधुनिक समय में हमे यदि कोई डाटा भेजना है या कोई इनफार्मेशन निकालनी है तो उसके लिए हम कंप्यूटर या मोबाइल के द्वारा इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
इंटरनेट का विस्तार और रखरखाव
अमेरिका की एजेंसी "रक्षा उन्नत परियोजना एजेंसी" ("Defense
Advanced Projects Agency") (DARPA) विभाग द्वारा किया गया था। और, यह पहली बार
1969 में जुड़ा था।
इंटरनेट को नेटवर्क क्यों माना जाता है
?
इंटरनेट नेटवर्क का नेटवर्क
होता है क्यों की यह विश्व के सभी कम्प्यूटरों को एक नेट (जाल) बना कर बिभिन्न माध्यमों
के द्वारा जोड़ता है।
इसे कॉपर वायर वाली केबल, या ऑप्टिकल फाइबर केबल के द्वारा ग्लोबल नेटवर्क से जोड़ा जाता है। इसके अलावा कुछ वायरलेस नेटवर्क भी होते हैं जैसे की बाई-फाई, 2G ,3G , 4G, 5G
इंटरनेट का सर्वर एक देश से दूसरे देश
में कैसे जुड़ता है
यह एक बहुत लम्बी प्रक्रिया
होती है इसके लिए समुद्र में नीचे हजारों मील की दूरी की ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई
जाती हैं जो द्वीपों और महाद्वीपों को जोड़ने का काम करती हैं। फिर हर देश में इंटरनेट
का एक मुख्या सर्वर होता है जहाँ उन्हें टेलीफ़ोन लाइन दे द्वारा आपके कंप्यूटर से जोड़ा
जाता है या वायरलेस नेटवर्क से जोड़ा जाता है।
इंटरनेट का फाउंडेशन (स्थापना)
इंटरनेट का विकाश संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में विभिन्न रिसर्च नेटवर्क को जोड़ने के परिणामस्वरूप हुआ। सबसे पहले, DARPA ने "हेटेरोजेनस नेटवर्क" के परस्पर संबंध की जांच के लिए एक कार्यक्रम स्थापित किया। इंटरनेटिंग नामक यह कार्यक्रम ओपन आर्किटेक्चर नेटवर्किंग की नई शुरू की गई अवधारणा पर आधारित था, जिसमें परिभाषित मानक इंटरफेस वाले नेटवर्क को "गेटवे" द्वारा परस्पर जोड़ा जाएगा।
1974 में विंटन सेर्फ़,ने कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में, और इस लेखक ने, फिर DARPA में, एक ऐसा सहयोग किया, जिसने पहले इस तरह के एक प्रोटोकॉल और सिस्टम आर्किटेक्चर का वर्णन किया- अर्थात्, ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (टीसीपी), जिसने विभिन्न प्रकार की मशीनों को सक्षम किया। डेटा पैकेट को रूट और असेंबल करने के लिए दुनिया भर के नेटवर्क पर। टीसीपी, जिसमें मूल रूप से इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) शामिल था, एक वैश्विक संबोधित तंत्र जो राउटर को अपने अंतिम डेस्टिनेशन के लिए डेटा पैकेट प्राप्त करने की अनुमति देता है।
1970 के दशक की शुरुआत में इंटरनेट की उत्पत्ति से, सरकारी नियंत्रण से निजी क्षेत्र की भागीदारी और अंत में सरकारी निगरानी और प्रतिबंध के साथ निजी संस्थानों द्वारा इसे नियंत्रित किया गया। जिससे यह हमेशा बेहतर होता गया।
इंटरनेट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
इंटरनेट क्लाइंट और सर्वर
दोनों की सहायता से वर्क करता है । आपका कंप्यूटर जिसमे इंटरनेट चल रहा है वह क्लाइंट
होता है , यह इंटरनेट सर्वर प्रोवाइडर
(ISP) के द्वारा मुख्य सर्वर से जुड़ा होता है और आईपी एड्रेस से पहचाना जाता
है।
सर्वर एक बहुत बड़ा कंप्यूटर है जो वेबसाइटों के डाटा को इकठ्ठा करता है। इसका खुद का एक आईपी एड्रेस भी होता है। वह स्थान जहाँ बहुत सारे सर्वर संग्रहीत होते हैं, डेटा सेंटर कहलाता है। सर्वर एक नेटवर्क (इंटरनेट) पर इंटरनेट ब्राउज़र के की सहायता से क्लाइंट द्वारा भेजे गए अनुरोधों को स्वीकार करता है और उसके अनुसार प्रतिक्रिया करता है।
इंटरनेट का उपयोग करने के
लिए हमें एक डोमेन नेम की आवश्यकता होती है, जो एक आईपी एड्रेस प्रदान करता है, अर्थात,
प्रत्येक एड्रेस को एक डोमेन नेम दिया गया है।
इंटरनेट डोमेन नेम को आइडेंटिफाई नहीं करता है, यह आईपी एड्रेस को समझता है, इसलिए जब आप ब्राउज़र के सर्च बार में डोमेन नेम दर्ज करते हैं, तो इंटरनेट एड्रेस बुक से इस डोमेन नेम के आईपी एड्रेस को पहचानता है , जिसे DNS (डोमेन नेम सर्वर) के रूप में जाना जाता है ।
इंटरनेट की कार्य प्रणाली
जब कंप्यूटर को चालू करके
ब्राउज़र की सर्च बार में कोई डोमेन नेम एंटर किया जाता है तो इसके आई पी एड्रेस के
लिए ब्राउज़र मुख्य सर्वर (डी ऐन एस सर्वर ) को अनुरोध भेजता है।
जब सर्वर को किसी विशेष वेबसाइट के बारे में जानकारी इनफार्मेशन देने का अनुरोध मिलता है, तो डेटा फ्लो शुरू हो जाता है। उसके बाद डेटा को डिजिटल प्रारूप में ऑप्टिकल फाइबर केबल के द्वारा लाइट पल्स के रूप में स्थानांतरित कर दिया जाता है। मुख्य सर्वर की दूरी अधिक होने के कारण फाइबर केबल्स को अधिक दूरी पूरी करनी होती है।
अब ऑप्टिकल फाइबर केबल को
टेलीफ़ोन लाइन और मॉडेम की सहायता से एक राउटर
से जोड़ा जाता है , जो प्रकाश संकेतों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करता है। इन
विद्युत संकेतों को ईथरनेट केबल का उपयोग करके आपके कंप्यूटर पर प्रेषित किया जाता
है। इस तरीके से आप अपनी इक्षा अनुसार चाही गई सारी जानकारी इंटरनेट के द्वारा पा सकते
हैं। जो हमे मुख्य सर्वर से ही प्राप्त होती है लेकिन अलग अलग माध्यमों से।
इसके अलावा, यदि आप वाईफ़ाई या मोबाइल डेटा का उपयोग कर वायरलेस इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, तो ऑप्टिकल केबल से संकेत पहले एक मोबाइल टावर पर भेजे जाते हैं और जहां से यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में आपके मोबाइल तक पहुंचता है।
इंटरनेट को संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित ICANN (इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स) द्वारा प्रबंधित किया जाता है। यह IP एड्रेस असाइनमेंट, डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन आदि का प्रबंधन करता है।
इंटरनेट पर आप क्या क्या कर सकते हैं
?
इंटरनेट पर आजकल सबसे अधिक उपयोग पूरी दुनियां में किसी के साथ कम्युनिकेशन करना या बात करना जिसे आप ऑनलाइन चैट के नाम से जानते हैं, इसके अलावा ऑफिसियल या अनोफ्फिसिअल ईमेल भेजना आदि। इंटरनेट पर ईमेल की सुविधा का बहुत लम्बे समय से उपयोग होता आ रहा है और यह सन्देश भेजने का सबसे अच्छा तरीका है। सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सप्प, फेसबुक आदि के माध्यम से लोगो से जुड़े रहना और ग्रुप बना कर अपने विचार साझा करना।
इसके अलावा ऑनलाइन समाचार
सुनना, टीवी देखना, कोई गेम खेलना, या शिक्षा से सम्बंधित सभी तरह की जानकारी इकठ्ठा
करना।
बैंकिंग ट्रांजीशन करना जैसे
की किसी को पैसे भेजना या मॅगाना या अपने खाते का व्योरा देखना।
ऑनलाइन ट्रेडिंग जैसे की
शेयर मार्केट, म्युचुअल फण्ड आदि जानना।
ऑनलाइन खरीद करना या अपना माल ऑनलाइन बेचना जिसे ऑनलाइन ट्रेडिंग कहते हैं।
दोस्तों आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी और इसमें आपको इंटरनेट से सम्बंधित सारी जानकारी उपयोगी लगी होगी इसके बाद हम अगली पोस्ट में इंटरनेट के क्या क्या उपयोग हो सकते हैं उन सब पर अध्यन करेंगे।