प्राथमिक मेमरी *Primary Memory*
Detail study of RAM
RAM का विस्तार से वर्णन
यह एक अस्थिर (Volatile) स्मृति है। इसका मतलब है कि यह डेटा या निर्देशों को स्थायी रूप से संग्रहीत नहीं करता है। जब आप कंप्यूटर पर स्विच करते हैं तो हार्ड डिस्क से डेटा और निर्देश RAM में संग्रहीत होते हैं।
Which type of the computer memory is the easiest to accesses? - RAM
RAM मैं स्टोर होने वाला डाटा अस्थाई
होता है।
सीपीयू इस डेटा का उपयोग आवश्यक कार्यों
को करने के लिए करता है। जैसे ही आप कंप्यूटर को बंद करते हैं RAM सभी डेटा खो
देता है।
सरल शब्दों में, हम कह
सकते हैं कि RAM एक शार्ट टर्म मेमोरी वाले व्यक्ति की तरह है। और
हार्ड ड्राइव का भंडारण व्यक्ति की दीर्घकालिक स्मृति की तरह है। शार्ट टर्म
मेमोरी काम समय के लिए चीजों को याद करती है, जबकि दीर्घकालिक लम्बे समय के
लिए याद करती है। अल्पावधि स्मृति को मस्तिष्क में संग्रहीत जानकारी के साथ ताज़ा
किया जा सकता है।
RAM एक Chip के रूप में आता है जो व्यक्तिगत रूप से मदरबोर्ड पर या मदरबोर्ड से जुड़े एक छोटे बोर्ड पर कई चिप्स के रूप में लगाया जाता है।
- सबसे पहले RAM को 1947 में
विलियम्स ट्यूब के साथ पेश किया गया था। इसका उपयोग CRT (Cathode Ray Tube)
में किया गया था,
- दूसरी RAM एक चुंबकीय-कोर
मेमोरी थी, जिसका आविष्कार 1947 में किया गया था। और इसे किसी भी समय एक्सेस
किया जा सकता है।
- solid-state मेमोरी वाली RAM,
का आविष्कार रॉबर्ट डेनार्ड ने 1968 में किया था। इसे विशेष रूप से
डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM) के रूप में जाना जाता है और
इसमें डेटा के बिट्स को स्टोर करने के लिए ट्रांजिस्टर होते हैं।
- अक्टूबर 1969 में, इंटेल ने
अपना पहला DRAM, Intel 1103 पब्लिश किया।
- 1993 में, सैमसंग ने
KM48SL2000 सिंक्रोनस DRAM (SDRAM) को प्रस्तुत किया था।
- 1996 में, DDR SDRAM
- 1999 में, RDRAM
- 2003 में, DDR2 SDRAM
- जून 2007 में, DDR3
SDRAM
- सितंबर 2014 में, DDR4
RAM के प्रकार:- (Types of RAM)
1.
स्टेटिक रैम (Static RAM) (SRAM):
2.
डायनामिक रैम (Dynamic RAM) (DRAM):
दोनों प्रकार की रैम volatile होती हैं, क्योंकि बिजली बंद होने पर दोनों data खो देते हैं।
स्टैटिक रैम तेज है क्योंकि इसके सर्किट का 6 Transistor का कॉन्फ़िगरेशन एक दिशा से दूसरे दिशा (0 or 1) में प्रवाह बनाए रखता है। इनके capacitor को भरने या खली होने की की प्रतीक्षा किए बिना 0 या 1 state को तुरंत लिखा और पढ़ा जा सकता है।
डायनेमिक RAM (DRAM) भी मेमोरी सेल्स से बना है। यह लाखों ट्रांजिस्टर और कैपेसिटर से बना एक एकीकृत सर्किट (IC) है जो आकार में बेहद छोटा होता है और प्रत्येक ट्रांजिस्टर एक Capacitor के साथ पंक्तिबद्ध ( Lined Up) होता है ताकि एक बहुत ही कॉम्पैक्ट मेमोरी सेल बनाया जा सके जिससे उनमें से लाखों ट्रांजिस्टर और Capacitor एक सिंगल मेमोरी चिप पर फिट हो सकें। तो, DRAM की एक मेमोरी सेल में एक ट्रांजिस्टर और एक कैपेसिटर होता है और प्रत्येक सेल एक इंटीग्रेटेड सर्किट के भीतर अपने कैपेसिटर में डेटा के प्रत्येक बिट को Represent या स्टोर करता है।
Capacitor इस जानकारी या डेटा को 0 या 1 के रूप में रखता है। ट्रांजिस्टर, जो सेल में मौजूद होता है, वह एक स्विच के रूप में कार्य करता है जो मेमोरी चिप पर विद्युत सर्किट को Capacitor को पढ़ने और इसकी स्थिति को बदलने की अनुमति देता है।
Capacitor में चार्ज
बनाए रखने के लिए नियमित अंतराल के बाद Capacitor को Refresh करने की आवश्यकता
होती है। यही कारण है कि इसे डायनेमिक रैम कहा जाता है क्योंकि इसके डेटा को बनाए
रखने के लिए इसे लगातार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है अन्थया यह भूल
जाता है कि यह क्या कार्य कर रहा है।
DRAM में Acess करने का का समय लगभग 60 नैनोसेकंड है।
DRAM के प्रकार
a) असिंक्रोनोमस (Asynchronous) DRAM:
इस प्रकार का DRAM CPU Clock के साथ सिंक्रोनाइज़ नहीं किया जाता है। तो, इस RAM का दोष यह है कि CPU को वो समय पता नहीं चल सकता है कि इनपुट-आउटपुट Bus में RAM से डेटा किस समय उपलब्ध होगा। इस कमी को RAM की अगली पीढ़ी ने दूर कर दिया, जिसे Synchronous DRAM के रूप में जाना जाता है।
b) सिंक्रोनोमस (Synchronous) DRAM:
SDRAM (सिंक्रोनस
DRAM) 1996 के अंत में उपयोग मैं आने लगा था। SDRAM में, RAM को CPU की
Clock के साथ सिंक्रनाइज़ किया गया था। यह सीपीयू या मेमोरी Controller को क्लॉक
Cycle का सही समय जानने की अनुमति देता है की डाटा Bus मैं कब उपलब्ध होगा।
इसलिए, CPU को मेमोरी एक्सेस की आवश्यकता नहीं है और इस प्रकार मेमोरी रीड एंड
राइट स्पीड को बढ़ाया जा सकता है।
SDRAM को single data rate एसडी रेम (SDR SDRAM) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि डेटा केवल Clock Cycle के प्रत्येक Edge पर स्थानांतरित किया जाता है।
c) DDR (डीडीआर) SDRAM:
सिंक्रोनस DRAM की अगली पीढ़ी को DDR RAM के रूप में जाना जाता है। इसे DDR RAM की कमियों को पूरा करने के लिए विकसित किया गया था और वर्ष 2000 की शुरुआत में कंप्यूटर मेमोरी में उपयोग किया गया था। DDR SDRAM में, प्रत्येक Clock Cycle के दौरान डेटा दो बार स्थानांतरित किया जाता है यह प्रिक्रिया राइजिंग एज और फॉलिंग आगे के दौरान होती है । इसलिए यह डबल डेटा रेट SDRAM के रूप में जाना जाता है।
डीडीआर SDRAM की विभिन्न पीढ़ियां हैं जिनमें DDR1, DDR2, DDR3 और DDR4 शामिल हैं
i) DDR1 SDRAM:-
DDR1 SDRAM SDRAM का पहला एडवांस्ड संस्करण है। इस रेम में, वोल्टेज 3.3 V से 2.5 V तक कम हो गया था। डेटा को दोनों चक्रों गिरने वाले और उठने वाले cycles के दौरान Clock के साथ स्थानांतरित किया जाता है। इसलिए, cycle में, 1 बिट के बजाय, 2 बिट्स pre Fetch की जा रही हैं, जिसे आमतौर पर 2 बिट प्रति fatch के रूप में जाना जाता है। यह ज्यादातर 133 मेगाहर्ट्ज से 200 मेगाहर्ट्ज की सीमा में ऑपरेट होता है।
ii) DDR2 SDRAM:-
यह DDR1 का एडवांस संस्करण है। यह 2.5 V के बजाय 1.8 V पर संचालित होता है। प्रत्येक चक्र के दौरान पूर्व-प्राप्त बिट्स की संख्या में वृद्धि के कारण इसकी डेटा दर पिछली पीढ़ी की डेटा दर से दोगुनी है; 2 बिट्स के बजाय 4 बिट्स pre-fetch होते हैं।
iii) DDR3 SDRAM:-
इस Version में, वोल्टेज को 1.8 V से 1.5 V तक घटा दिया गया है। पिछली पीढ़ी की रेम की तुलना में डेटा की दर दोगुनी कर दी गई है क्योंकि पूर्व-प्राप्त बिट्स की संख्या 4 बिट से 8 बिट तक बढ़ा दी गई थी।
iv) DDR4 SDRAM:-
इस Version में, ऑपरेटिंग वोल्टेज को 1.5 V से 1.2 V तक कम किया जाता है, लेकिन pre-fetch होने वाले बिट्स की संख्या पिछली पीढ़ी के समान है; प्रति चक्र 8 बिट्स। रेम की इंटरनल clock की आवृत्ति पिछले वर्जन से दोगुनी है
2. ROM (Non-volatile Memory)
रीड-ओनली मेमोरी (रोम -ROM), एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज है जो मैन्युफैक्चरिंग
के दौरान डिवाइस में आता है। रोम नॉन वोलेटाइल प्रकृति की होती है जिससे यह पावर कट
होने पर या कंप्यूटर बंद होने पर भी रहती है।
रोम को आगे बिभाजित किया गया है –
1)
मास्क्ड रीड ओनली मेमोरी (MROM):
मास्क रॉम (MROM) चिप्स में एक सॉफ्टवेयर मास्क होता है जो सेमीकंडक्टर निर्माण प्रक्रिया के दौरान उसको डिज़ाइन करते समय चिप पर डाला जाता है। अन्य कंप्यूटर मेमोरी चिप्स की तरह मास्क रॉम (MROM) ट्रांजिस्टर को अरेंज करते समय जब सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन शुरू किया जाता है तब बनाये जाते हैं।
2)
प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (PROM):
प्रोग्रामेबल रीड-ओनली मेमोरी (PROM) वह रीड-ओनली मेमोरी (ROM) है जिसे यूजर द्वारा एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। PROM एक उपयोगकर्ता को एक विशेष मशीन का उपयोग करके एक माइक्रोकोड प्रोग्राम को दर्ज़ करने की अनुमति देने का एक तरीका है जिसे PROM प्रोग्रामर कहा जाता है।
3)
इरेजेबल और प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EPROM):
EPROM जैसे की इसके नाम से स्पष्ट है की इस रोम में डाटा को इरेज करके दोवारा राइट किया जा सकता या प्रोग्राम किया जा सकता है इस कार्य के लिए विशेष प्रोग्राम्स होते हैं जिन्हे इरेजर कहते हैं। इस रोम को अल्ट्रा वॉइलेट किरणों के संपर्क में रख कर इरेज किया जा सकता है।
4)
इलेक्ट्रिकली इरेजेबल और प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (EPROM)
EEPROM को प्रोग्राम किया जाता है और विद्युत रूप से मिटा दिया जाता है। इसे लगभग दस हजार बार मिटाया और फिर से बनाया जा सकता है। मिटाने और प्रोग्रामिंग दोनों में लगभग 4 से 10 एमएस (मिलीसेकंड) लगते हैं। EEPROM में, किसी भी स्थान को चुनिंदा रूप से मिटाया और प्रोग्राम किया जा सकता है। पूरे चिप को मिटाने के बजाय EEPROM को एक बार में एक बाइट मिटाया जा सकता है। इसलिए, रीप्रोग्रामिंग की प्रक्रिया लचीली लेकिन धीमी होती है।
5)
फ्लैश रोम (FLASH ROM )
यह EEPROM का एक एडवांस्ड और अपग्रेड किया हुआ वर्जन है। यह फ्लोटिंग-गेट ट्रांजिस्टर
से बनाई गई मेमोरी सेल्स में डाटा को स्टोर करती है । इस मेमोरी का उपयोग करने का लाभ
यह है कि यह मेमोरी EEPROM से तेज है।
दोस्तों
आशा करता हु की आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी धन्यबाद